NAPIER GRASS : आप सभी को पता होगा कि अभी फिलहाल अप्रैल महीना खत्म होने को आया है और देखते-देखते, गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। इस मौसम के शुरू होते ही दुधारू पशुओं के लिए हरे चारे का संकट पैदा हो जाता है, क्योंकि इस समय खेत खाली हो जाते हैं, गर्मी के कारण चारागाह भूमि पर वनस्पति भी सूखने लगती है। हरे चारे. की कमी की वजह से पशुपालकों को महंगे दाम पर चार खरीदना पड़ता है।
इस किसान ने धनिया की खेती करके 12 लाख रुपए कमाए,
👉 यहां के लिए करके देखें पूरी जानकारी। 👈
हालांकि केंद्र और राज्य सरकारी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पशुपालनों को प्रोत्साहित दे रही है, लेकिन सरकार की स्कीम में चार प्रबंधन को कभी प्राथमिकता से नहीं लिया गया है। पशुपालकों की इस समस्या को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार अब चार बैंक की अवधारणा पर काम कर रही है। वहीं राज्य सरकार की ओर से बंजर भूमि पर एक विशेष गति की खेती प्रक्रिया किया जा रहा है। देखिए पूरी जानकारी और कैसे ले सकते हैं आप इस पर सब्सिडी जाने पूरी खबर।
इस खास किस्म का हरा चारा एक बार खेत में लगाकर किसान कई सालों तक चारे की कमी के संकट से मुक्त हो सकते हैं। इसकी खेती पर सरकार अनुदान भी दे रही है। यह हरा चारा नेपियर घास (Napier Grass) के नाम से जाना जाता है। आइए, जानें कि नेपियर घास की खेती कैसे की जाती है, इसके बीज कहां मिलेंगे, चारे की प्रमुख किस्में कौनसी हैं और सरकार से कितनी सब्सिडी मिलेगी।
सिंचाई पंप पर मिल रही है 55% की सब्सिडी,
👉 यहां क्लिक करके देखें पूरी जानकारी। 👈
जानिए क्या है नेपियर घास और कितने साल तक देती है पैदावार (KNOW WHAT IS NAPIER GRASS AND FOR HOW MANY YEARS DOES IT PRODUCE?)
नेपियर घास सदाबहार हरा चारा है। यह एक बहुवर्षीय फसल है जिसे हाथी घास के नाम से भी जाना जाता है। इसे एक बार लगाकर 4 से 5 साल तक हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है। पशुपालक किसान को जब भी पशुओं के लिए हरे चारे की आवश्यकता हो तब इसे काटा जा सकता है। हर 2 से 3 महीने में इस घास की ऊंचाई 15 फीट तक हो जाती है। नेपियर घास के पौधे गन्ने की तरह लंबाई में बढ़ते हैं। एक पौधे से ही 40 से 50 तक कल्ले निकलते हैं।
नेपियर घास (Napier Grass) मात्र दो महीने में विकसित हो जाती है। पहली बार इसकी कटाई 45 दिन के बाद करनी चाहिए। इसके बाद हर 25 दिन में कटाई की जा सकती है। नेपियर घास की खेती (Napier Grass Cultivation) रबी फसलों की कटाई के बाद खरीफ सीजन में या फरवरी-मार्च में की जा सकती है। इसकी खेती ज्यादा बारिश व सूखे इलाकों के साथ-साथ बंजर भूमि में भी संभव है।
इन कारणों से पशुओं को खिलानी चाहिए नेपियर घास (FOR THESE REASONS ANIMALS SHOULD BE FED NAPIER GRASS)
गर्मियों में हर साल हरे चारे की सबसे ज्यादा परेशानी होती है। ऐसे में पशुपालक एक बार नेपियर घास लगाकर 4 से 5 साल तक दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत को पूरा कर सकते हैं। नैपियर घास अपनी सभी अवस्थाओं पर हरा, पौष्टिक और स्वादिष्ट चारा होता है। इसमें कच्ची प्रोटीन की मात्रा 8-11 प्रतिशत, रेशे की मात्रा 30.5 प्रतिशत और ऊर्जा तत्व 60 प्रतिशत तक होते हैं। 70 से 75 दिन बाद काटे गए नेपियर चारे में सुपाच्य पोषक तत्व 65 प्रतिशत तक पाए जाते हैं।
गर्मियों के दिनों में इन चार सब्जियों की खेती करें
👉 होगी सबसे ज्यादा बंपर कमाई। 👈
इसमें 10.88 प्रतिशत कैल्शियम तथा 0.24 प्रतिशत तक फॉस्फोरस मिलता है। नेपियर घास को रिजका, बरसीम या अन्य चारे अथवा दाने एवं खली के साथ पशुओं को खिलाना चाहिए। नेपियर घास (Napier Grass) खिलाने पर पशुओं के दुग्ध उत्पाद में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है।
नेपियर घास की प्रमुख किस्में (MAJOR VARIETIES OF NAPIER GRASS)
नैपियर घास एक बहुवर्षीय पैनीसेटम कुल का पौधा है, जिसको जड़ों और क्लम्पों द्वारा समुद्र तल से 1550 मीटर की ऊंचाई पर रोपित करके चारा प्राप्त किया जा सकता है। इसकी प्रमुख किस्मों में जॉइंट किंग, सुपर नेपियर , सीओ-1, हाइब्रिड नेपियर – 3 (स्वेतिका), सीओ-2, सीओ-3, सीओ-4, पीबीएन – 83, यशवन्त (आरबीएन – 9) आईजीएफआरआई 5 एनबी- 21, एनबी- 37, पीबीएन-237, केकेएम 1, एपीबीएन-1, सुगना, सुप्रिया, सम्पूर्णा (डीएचएन – 6) आदि हैं।
नेपियर घास के लिए उपयुक्त जलवायु (SUITABLE CLIMATE FOR NAPIER GRASS)
नेपियर घास की खेती गर्म और नम जलवायु वाले स्थानों बेहतर तरीके से की जा सकती है। भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार, बंगाल, असम, उड़ीसा, आन्धप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और केरल में होती है। किसान भाई नेपियर घास (Napier Grass) के बीज खाद-बीज की दुकान, सहकारी संस्थाओं के कार्यालय और ऑनलाइन वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं।
नेपियर घास की खेती पर सब्सिडी (SUBSIDY ON NAPIER GRASS CULTIVATION)
नेपियर घास को जायद सीजन में भी उगाया जा सकता है। सरकार दुधारू पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए नेपियर घास उगाने पर सब्सिडी प्रदान कर रही है। राजस्थान में हरे चारे की किल्लत को खत्म करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 0.10 हेक्टेयर भूमि में नेपियर घास की खेती करने पर 10 हजार रुपए की सब्सिडी दी जा रही है। किसान भाई सब्सिडी पर अधिक जानकारी के लिए कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। कृषि अधिकारी अशोक कुमार के अनुसार बाजरा की हाइब्रिड किस्मों में नेपियर घास भी शामिल है और इसकी खेती बंजर जमीन पर भी संभव है। कुल मिलाकर नेपियर घास की खेती राजस्थान के किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है।