भारत में रहने वाला हर किसान हर साल खरीफ फसल और रबी फसल के साथ-साथ गर्मी के समय में भी बेहतर पैदावार करने के लिए खाद बीज और कीटनाशकों पर काफी ज्यादा पैसा खर्च भी करता है लेकिन किसान लोगों को कृषि की जो दवाइयां है जो कीटनाशक है उनको उपलब्ध कराने के लिए भारत में कम से कम 10,000 ऐसी कंपनियां है जो किसानों को कीटनाशकों की दवाइयां दे रही है इसके बावजूद बड़ी संख्या में किसानों की फसल नकली खाद और बीज और कीटनाशक के कारण हर साल फसल बर्बाद होती जा रही है |
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बुवाई से पहले किसानों को ज्यादा पैदावार का वादा करके यह कंपनियां के द्वारा बीज बेचा जाता है लेकिन जब फसल की पैदावार प्राप्त होती है तो कम उत्पादन मिलता है जिसकी वजह से किसानों को बहुत ही ज्यादा झटका लगता है और फिर वे कुछ और कदम उठाने की कोशिश कर लेते हैं, इस वजह से भारत में हर साल लाखों किसान ऐसे हैं जो ठगे जाते हैं
देश के उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, आंधप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में नकली खाद-बीज और कीटनाशक के मामले ज्यादा सामने आते हैं। किसानों की इसी परेशानी को समझते हुए केंद्र सरकार ने कीटनाशकों के फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए 7 हजार से ज्यादा कंपनियों के रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिए हैं। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट से जानें कि सरकार के इस कदम से किसानों को क्या फायदा होगा और किसान नकली खाद-बीज व कीटनाशक की खरीद से कैसे बच सकते हैं।
सरकार ने कीटनाशक कंपनियों के लिए बनाए सख्त नियम
किसानों को कई गुना ज्यादा पैसे खर्च करने बाद भी गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट नहीं मिल रहे हैं, जिससे उनकी उपज प्रभावित हो रही है। इसकी शिकायत सरकार के सामने लंबे समय से आ रही है।
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इन शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने कीटनाशक कंपनियों के लिए केवाईसी का नियम बनाया है। अब कीटनाशक कंपनियों को अपनी केवाईसी करानी होगी जिससे सरकार के पास प्रत्येक कंपनी का डेटा आ जाएगा और शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी। साथ ही नकली खाद-बीज व कीटनाशक की बिक्री पर अंकुश लगेगा।
क्या कहती है रिपोर्ट?
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में केवल 2584 पेस्टीसाइड कंपनियां ही ऐसी हैं जो केवाईसी नियमों का पालन करती हैं. अभी इन्हीं कंपनियों का रजिस्ट्रेशन बचा हुआ है. सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकारों को यह निर्देश दिया गया है कि जिन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल हुआ है, उनके प्रोडक्ट की बिक्री नहीं होनी चाहिए और इस पर निगरानी भी रखनी होगी. जब कंपनियां अपना केवाईसी पूरा कर लेंगी तो उनका रजिस्ट्रेशन फिर से बहाल कर दिया जाएगा.
खेती-बाड़ी के बीच किसानों की शिकायतें आ रही थीं कि पैसे लगाने के बाद भी उन्हें सही प्रोडक्ट नहीं मिल रहे और उनकी उपज प्रभावित हो रही है. इन शिकायतों पर गौर करते हुए सरकार ने कीटनाशक कंपनियों के लिए केवाईसी का नियम बनाया है. सरकार ने यह नियम इसलिए भी बनाया है क्योंकि खेतों में केमिकल खादों और कीटनाशकों का बेतहाशा प्रयोग बढ़ रहा है. इससे मिट्टी के साथ-साथ पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा है. इस पर रोक लगाने के लिए सरकार नकली प्रोडक्ट पर अंकुश लगाना चाह रही है. केवाईसी का नियम उसी का हिस्सा है.
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कंपनियों पर सख्ती
देश में तकरीबन 10,000 कीटनाशक कंपनियां हैं जिनके लिए सरकार ने केवाईसी का नियम बनाया है. सरकार ने इसके लिए कम से कम केवाईसी का नियम दिया है ताकि कंपनियों पर बेवजह का दबाव न पड़े. इस कम से कम केवाईसी में भी केवल 2584 कंपनियां ही ऐसी हैं जिनका केवाईसी सही पाया गया है. जिन कंपनियों का केवाईसी पूरा है और जो कंपनियां इस नियम के दायरे में हैं, उनके लिए सरकार कुछ निर्देश जारी कर सकती है. इसमें कंपनियां ये सुनिश्चित करेंगी कि कीटनाशकों में गैर-जरूरी केमिकल का इस्तेमाल कम हो ताकि पर्यावरण और मिट्टी की सेहत को बचाया जा सके.