अजब गजब की खेती 5 महीने में कमाई 10 लाख रुपए , सिर्फ और सिर्फ इस खेती से : नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने वाला हूं जिस व्यक्ति ने सिर्फ और सिर्फ 5 महीने में ही 10 लख रुपए से भी ज्यादा कमा लिए हैं अगर आप उसके बारे में जानना चाहते हो तो आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर पड़े मैं आपको उसे व्यक्ति के बारे में बताने वाला हूं कि उसे व्यक्ति ने कैसे सिर्फ और सिर्फ 5 महीने के अंदर अंदर ही 10 लख रुपए की कमाई कर ली |
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दोस्तों कम समय में पर्याप्त कमाई जाने वालों किसानों के लिए लहसुन की खेती एक आशा का किरण बनकर खड़ी है दोस्तों हाल ही के दिनों में यह योगी को के बीच एक प्रसिद्ध निंदा खेती के रूप में उभरा है जो कम समय में खेती करके लख रुपए कमा रहे हैं लहसुन की खेती कैसे करें और उसके क्या-क्या फायदे हैं नुकसान है इस लेख में पूरा बताया गया है इसलिए आप इसलिए को पूरा जरूर पड़े |
दोस्तों आप सभी को पता होगा कि अभी फिलहाल लहसुन के भाव आसमान को छुए हुए हैं अभी भारत में लहसुन काफी ज्यादा महंगी बिक रही है जो इस व्यक्ति ने अभी इस महीने में यानी की 2023 के अंदर जिस व्यक्ति ने लहसुन की खेती की है वह मालामाल हो चुका है |
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दोस्तों लिए जानते हैं कि आखिर लहसुन की खेती कैसे करते हैं और सबसे ज्यादा लहसुन की खेती कौन से में राज्य में की जाती है अभी फिलहाल लहसुन 300 ₹400 किलो बाजार बिक रही है और इसकी बाजार में बहुत ज्यादा डिमांड भी हो चुकी है लहसुन काफी ज्यादा तेजी से भी बिक रही है और खेतों में लोग लहसुन की खेती करने वाले किसान भाई लहसुन के लिए अपने खेत में कैमरे भी लगवाएंगे और बंदूक से भी इसकी ध्यान रख रही है |
लहसुन की खेती कैसे करें
लहसुन की खेती शुरू करने का सबसे उपयुक्त समय बरसात के बाद का है, आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के महीनों में। लहसुन की कलियाँ रोपण के लिए प्राथमिक स्रोत के रूप में काम करती हैं, जो पर्याप्त जमाव सुनिश्चित करने के लिए 10 सेमी की दूरी पर होती हैं। विभिन्न प्रकार की मिट्टी के लिए उपयुक्तता के साथ, मेड़ों पर खेती करना सबसे अच्छा है, बशर्ते पानी के ठहराव से बचा जाए। 5-6 महीने की अवधि में फसल पूर्ण परिपक्वता तक पहुंच जाती है।
भूमि तथा जलवायु:
लहसुन की खेती लगभग सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है लेकिन इसके लिये प्रचुर जीवांश और अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी सर्वोतम है। लहसुन की वृद्धि के लिये तुलनात्मक दृष्टि से ठंडा व नम जलवायु उपयुक्त रहता है। गर्म व बड़े दिन पौधे की वृद्धि पर विपरित प्रभाव डालते हैं। परन्तु कंद बनने क लिये लंबे व शुष्क दिन फायदेमंद हैं। परन्तु कंदों के बनने के बाद यदि तापमान कम हो जाये तो कंदों का विकास और अधिक अच्छा होगा, एवं कन्दों के विकास के लिये अधिक समय उपलब्ध होगा, अत: उनका विकास अच्छा होगा तथा उपज बढ़ेगी।
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खेत की तैयारी :
लहसुन की जड़ें भूमि की ऊपरी सतह से करीब 10 सेमी गहराई तक ही सीमित रहती है अत: भूमि की अधिक गहरी जुताई की आवश्यकता नहीं है, इसलिये दो जुताई करके, हेरो चलाकर भूमि को भुरभुरा करके खरपतवार निकालकर, समतल कर देना चाहिए। जुताई के समय भूमि में उपयुक्त मात्रा में नमी आवश्यक है अन्यथा पलेवा देकर जुताई करें।
उन्नत किस्में:
लाडवा, मलेवा, एग्रीफांउड व्हाइट, आर जी एल-1, यमुना सफेद-3 एवं गारलिक 56-4 नामक किस्में अच्छी पैदावार देती है। लहसुन का चूर्ण बनाने के लिये बड़े आकार की लौंग वाली गुजरात की जामनगर व राजकोट किस्मों को उपयुक्त माना गया है।
खाद एवं उर्वरक:
खेत की तैयारी के समय 20-25 टन प्रति हेक्टर गोबर खाद खेत में मिला देनी चाहिये क्योंकि जैविक खाद का लहसुन की उपज पर बड़ा अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा 50 किलो नत्रजन, 60 किलो फॉस्फोरस व 100 किलो पोटाश प्रति हेक्टर बुवाई के समय दें व 50 किलो नत्रजन बुवाई के 30 दिन बाद दें।
बीज व बुवाई:
लहसुन की बुवाई के लिये अच्छी किस्म के स्वस्थ बड़े आकार के आकर्षक कंदों की कलियों को अलग-अलग करके बुवाई के काम में लें। बुवाई हेतु प्रति हेक्टर 500 किलो कलियों की आवश्यकता होती है। इसकी बुवाई (रोपाई) कतारों में 15 से.मी. की दूरी पर करें व पौधे से पौधे की दूरी 7-8 से.मी. एवं गहराई 5 से.मी. ही रखें। इसकी बुवाई का उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक का है। भूमि का तापमान 300 से ज्यादा होने पर कलियों में सडऩ उत्पन्न हो सकती है।
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लहसुन की मांग
लहसुन की बहुमुखी प्रतिभा पाक अनुप्रयोगों से परे, औषधीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों में अपना रास्ता खोज रही है। मसाले, सब्जी और मसालों के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले लहसुन के औषधीय गुण इसे उच्च रक्तचाप से लेकर कैंसर तक की बीमारियों के इलाज में अमूल्य बनाते हैं। इसके जीवाणुरोधी और कैंसर-रोधी गुणों ने इसकी उपयोगिता को केवल मसाला बनाने से आगे बढ़ा दिया है, जिससे पाउडर, पेस्ट और चिप्स जैसे प्रसंस्कृत उत्पादों की बहुतायत का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
लहसुन की खेती से कमाई
लहसुन की कई किस्में हैं, जिनमें से प्रत्येक अद्वितीय पैदावार और बाजार मूल्य प्रदान करती है। औसतन एक एकड़ लहसुन की खेती से लगभग 50 क्विंटल की पैदावार हो सकती है। बाजार मूल्य 10,000 रुपये से 21,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच उतार-चढ़ाव करता है, जबकि खेती की लागत औसतन लगभग 40,000 रुपये प्रति एकड़ है। रिया वैन किस्म अपनी बेहतर गुणवत्ता के लिए जानी जाती है और अपनी मजबूत विशेषताओं के कारण प्रीमियम है। प्रत्येक बल्ब का वजन 100 ग्राम तक होता है और इसमें 6 से 13 लौंग होती हैं, रिया वैन किस्म में अत्यधिक लाभ की संभावना होती है।
लहसुन की खेती की लाखो कमाई का अच्छा स्तोत्र हैं। रिया वैन किस्म की खेती से प्रति एकड़ 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। निवेश पर यह पर्याप्त रिटर्न, लहसुन की बारहमासी मांग के साथ मिलकर, इसे उन किसानों के लिए एक आकर्षक अवसर के रूप में स्थापित करता है जो अपनी आय को अधिकतम करना चाहते हैं।
लहसुन की खेती क्यो करें
लहसुन की खेती स्थायी आजीविका चाहने वाले किसानों के लिए अवसर की किरण बनकर उभरती है। बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रति इसकी लचीलापन और औषधीय क्षेत्रों में इसकी अहम भूमिका के साथ मिलकर, नकदी फसल के रूप में इसके महत्व को दिखाती है। सही योजना और सावधानीपूर्वक कार्यान्वयन के साथ, लहसुन की खेती न केवल कमाई का वादा करती है, बल्कि जमीन जोतने वालों के लिए उद्देश्य की एक नई संभावना का भी वादा करती है।