Buffalo Breed: किसान साथियों इस नस्ल की पैसों को आवश्यकता अनुसार भोजन की जरूरत होती है आमतौर पर इन्हें भोजन के रूप में आप इन तरह की भैंस को फली वाला चार और सूखे मेवा बहुत पसंद होते हैं उनका भोजन में ऐसे तत्व शामिल करें जो ऊर्जा प्रोटीन फॉस्फोरस कैल्शियम विटामिन आदि से भरपूर हो ताकि उनकी जो दूध देने की शक्ति है वह काफी ज्यादा मात्रा में बढ़ जाए इसके अलावा आप उन्हें अनाज टेलन की खली और मिनरल युक्त भोजन भी दे सकते हैं
दोस्तों बता देते हैं कि ग्रामीण इलाकों के अलावा अब शायरी इलाकों में भी भैंस के दूध और उससे उत्पादन की मात्रा लगातार बढ़ रही है इसके चलते शहर के लोग भी पशुपालन में रुचि धीरे-धीरे दिखा रही है और शहर में भी लोग अगर जानवर को पढ़ने लगे हैं, जिसके अंदर भैंस, बकरी और गाय भी आ चुकी है।
भैंस पालने से अधिक लाभ कमाने के लिए, किसान लोग उन फसलों की भैंस को पलते हैं जिनसे उन्हें अधिक लाभ मिल सके। ऐसे में विकास की कालाहांडी नस्ल काफी फायदे का सौदा मानी जाती है। हालांकि इस नस्ल के बारे में बहुत लोग काम जानते हैं। बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो इस भैंस के बारे में बिल्कुल भी नहीं जानती हैं, लेकिन कुछ-कुछ किसान लोग ऐसे हैं, जो इस भैंस की नस्ल के बारे में जानते हैं।
जानकारी के अनुसार आपको बता देते हैं, कि यह नल की भैंस अपने जीवन काल में काम से कम 8 बच्चों को जन्म देती है, वहीं दूध देने में इसने कई देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। आईए जानते हैं इस नस्ल की भैंस की का क्या है खासियत।
भैंस की इस नस्ल की पहचान क्या है?
इस नस्ल को उड़ीसा में कालाहांडी और आंध्र प्रदेश में पेद्दाकिमेडी के नाम से जाना जाता है। ये बाइसन पूरे गजपति क्षेत्र और उड़ीसा के गंजाम और रायगडा इलाकों के कुछ हिस्सों और आंध्र प्रदेश के असमान इलाकों में पाए जाते हैं। इस नस्ल की छाया गहरे से हल्के भूरे रंग की हो जाती है। इन किस्मों के बाइसन का मंदिर समतल होता है और उस पर चमकीले बाल होते हैं। आभूषण के रूप में उल्लेखनीय सफेद निशान कई प्राणियों की गर्दन के पास पाए जाते हैं। इस बाइसन का उपयोग दूध और चिंता के अलावा, सींगों का उपयोग हस्तशिल्प और घरेलू सामान बनाने में किया जाता है। जो स्थानीय क्षेत्र में इन बाइसन की वित्तीय उपयोगिता का निर्माण करता है।
7 से 8 बार बच्चे देती है ये नस्ल
इस नस्ल की भैंस अपना पहला बछड़ा लगभग 4 साल की उम्र में देती है और जीवन भर 7 से 8 बार बच्चे देती हैं. औसतन 18 महीने का अंतराल रखती है. परलाखेमुंडी भैंसें मध्यम दूध देने वाली हैं और उनकी औसत दैनिक दूध उपज लगभग 3 से 5 लीटर है. पूरे ब्यांत में दुग्ध उत्पादन 737 से 800 लीटर है. ये भैंसें अपने मूल क्षेत्र में अपनी कार्य क्षमता और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती हैं.
आवश्यकतानुसार दें भोजन
इस नस्ल की भैंसों को आवश्यकतानुसार भोजन की जरूरत होती है. आम तौर पर इन्हें भोजन के रूप में फली वाला चारा और सूखे मेवे पसंद होते हैं. उनके भोजन में ऐसे तत्व शामिल करें जो ऊर्जा, प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन ए आदि से भरपूर हों. आप उन्हें अनाज, तिलहन की खली और मिनरल युक्त भोजन दे सकते हैं.
भैंसों को शेड में रखने की जरूरत
इन नस्लों की भैंसों को शेड में रखना अधिक लाभदायक होता है. अनुकूल परिस्थितियां उनके विकास में सहायक होती हैं. तेज धूप, बर्फबारी और अत्यधिक ठंड जैसे मौसम में इन्हें खुले वातावरण में रखना सही नहीं है. साथ ही उनके शेड में स्वच्छ हवा और पानी की सुविधा होनी चाहिए.