तिल की फसल में कौन सी खाद और उर्वरक डालें (Til Ki Fasal Me Kaun Si Khad Aur Urvarak Dale) : भारत देश में तिल की खेती कुश चुनिंदे राज्य में की जाती है। और इस राज्यों के तिल का उत्पादन से देश और विदेश की तिल की मांग पूरी करते है। भारत में तिल की खेती उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश, और मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा होती है।
किसान भाई पुरे भारत में तिल का उत्पादन (Sesame Production In India) की बात करे तो, भारत में 19.50 लाख हेक्टर विस्तार में तिल की खेती की जाती है। पुरे भारत में तिल का उत्पादन (Sesame Production In India) की बात करे तो 8.70 लाख टन उत्पादन होता है। भारत में तिल का इस उत्पादन के साथ विश्व में प्रथम स्थान पर है।
तिल की खेती में कम उत्पादन का मुख्य कारण ख़राब प्रबंधन, ठीक से खाद ना डाली हो, ठीक से पानी का प्रबंधन न किया हो, अच्छी तिल की किस्म का चुनाव न किया हो ए सब तिल का काम उत्पादन का कारन हो सकता है। इस लिए इस आर्टिकल में तिल का उत्पादन कैसे ज्यादा मिले इन के बारे में हम सब कुश बताने वाले है। इस लिए किसान भाई इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे
आज के इस के इस आर्टिकल में हम तिल की फसल में कौन सी खाद और उर्वरक डालें (Til Ki Fasal Me Kaun Si Khad Aur Urvarak Dale) इन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे इस लिए आप को हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तब बने रहना है।
तिल की खेती में उत्पादन बढ़ाने के लिए यह उर्वरक (खाद) का प्रयोग करे।
किसान भाई तिल की खेती में उर्वरक (खाद) का प्रयोग ध्यान से करना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पहले मिट्टी की जांच करानी चाहिए। उसके अनुसार उर्वरक (खाद) का प्रयोग करना चाहिए। अगर किसान को तिल की खेती में अच्छा उत्पादन लेना है तो उर्वरक (खाद) का प्रयोग करना होगा। किसान भाई तिल की खेती में खाद और उर्वरक का प्रयोग ऐसे करे।
किसान को तिल की खेती में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए कम से कम 5 से 7 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद बुवाई से 15 से 17 दिन पहले खेत में कम से कम 2 से 3 साल में एक बार अवश्य प्रयोग करनी चाहिये। इसके अलावा कम वर्षा आधारित तिल की फसल में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40 किलोग्राम फास्फोरस और 87 किलोग्राम डी.ए.पी और 10 किलोग्राम यूरिया तिल की बुवाई के समय देनी चाहिये। और शेष 20 किलोग्राम नाइट्रोजन को उचित नमी होने पर तिल की बुवाई के 30 से 35 दिन के बाद 44 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव कर देना चाहिये।
सिंचाई क्षेत्र में यूरिया की उपरोक्त मात्रा के अतिरिक्त फसल जब 50 से 60 दिन की हो जाये तो सिंचाई के तुरन्त 44 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव कर देना चाहिये। तिल की खेती में ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बुवाई के समय 250 किलोग्राम जिप्सम प्रति हेक्टर की दर से बुवाई के साथ प्रयोग करना चाहिए।
किसान भाई तिल की खेती में गंधक का भी प्रयोग किया जाता है। तिल की खेती में फोस्फरस के साथ गंधक मिलाकर देने से तिल निचले भाग में कोई हानि नहीं पोसा सकता। गन्धक के प्रयोग से तिल में तेल की मात्रा में भी 4% से 10% तक की वृद्धि होती है।
किसान भाई इसी तरह तिल की खेती में उर्वरक (खाद) का प्रयोग करेंगे तो 10 से 12 क्विंटल प्रति एक हेक्टर में उत्पादन मिलता है। किसान भाई कोई भी फसल हो उसमे अच्छा उत्पादन लेना हो तो मिट्टी, जलवायु, मौसम, रोगकीट, उर्वरक (खाद) और देखभाल आदि पर निर्भर करता है।
आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को तिल की फसल में कौन सी खाद और उर्वरक डालें (Til Ki Fasal Me Kaun Si Khad Aur Urvarak Dale) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।